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			 नई पुस्तकें >> न्यूनतम मैं न्यूनतम मैंगीत चतुर्वेदी
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गीत चतुर्वेदी की काव्य-निर्मिति और शिल्प की एक सिफत यह भी है कि वे 'यथार्थ' और 'कल्पित', ठोस और अमूर्त, संगत से विसंगत, रोज़मर्रा से उदात्त की बहुआयामी यात्रा एक ही कविता में उपलब्ध कर लेते हैं। 
—विष्णु खरे
			
		  			
			—विष्णु खरे
						
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